जोड़ों का दर्द एक आम समस्या है, जिससे लगभग हर व्यक्ति कभी न कभी प्रभावित होता है। लेकिन कई बार यह दर्द मामूली न होकर किसी गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है। ऐसी स्थिति में सामान्य दर्द की दवा या घरेलू उपाय पर्याप्त नहीं होते। ऐसे में सवाल उठता है – क्या मुझे रूमेटोलॉजिस्ट को दिखाना चाहिए? और कब?
इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि रूमेटोलॉजिस्ट कौन होते हैं, वे किन बीमारियों का इलाज करते हैं और किन लक्षणों के आधार पर आपको उनकी सलाह लेनी चाहिए।
रूमेटोलॉजिस्ट कौन होते हैं?
रूमेटोलॉजिस्ट (Rheumatologist) वे विशेषज्ञ डॉक्टर होते हैं जो शरीर के जोड़ों, मांसपेशियों, हड्डियों और इम्यून सिस्टम से जुड़ी सूजन वाली बीमारियों (Autoimmune and Inflammatory Diseases) का इलाज करते हैं। वे ऑस्टियोआर्थराइटिस, रूमेटॉइड आर्थराइटिस, ल्यूपस, गाउट, एंकिलोज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस, सोरियाटिक आर्थराइटिस, वेसकुलाइटिस जैसी जटिल बीमारियों का गहराई से मूल्यांकन और इलाज करते हैं।
कब जोड़ों का दर्द सामान्य होता है?
जोड़ों में हल्का दर्द, सूजन या अकड़न अधिकतर मामलों में ओवरयूज़ (अत्यधिक इस्तेमाल), मामूली चोट, या उम्र संबंधी बदलावों के कारण होता है। इस तरह का दर्द आराम, हल्के व्यायाम और पेन किलर से ठीक हो जाता है। लेकिन अगर दर्द लगातार बना रहे, बढ़ता जाए या इसके साथ कुछ और लक्षण दिखें, तो इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
किन लक्षणों में रूमेटोलॉजिस्ट से मिलना ज़रूरी है?
1. जोड़ों में लगातार सूजन और दर्द
अगर 4 हफ्तों से ज्यादा समय तक किसी एक या कई जोड़ों में सूजन, दर्द और जकड़न बनी हुई है, तो यह रूमेटॉइड आर्थराइटिस जैसी सूजन वाली बीमारी हो सकती है।
2. सुबह उठते समय जोड़ों में अकड़न
यदि सुबह उठने पर 30 मिनट या उससे ज्यादा समय तक जोड़ों में अकड़न रहती है, तो यह सूजन जनित बीमारी की ओर इशारा करता है।
3. जोड़ों में गर्मी और लालिमा
दर्द के साथ जोड़ का लाल, गर्म और सूजा हुआ होना गंभीर इन्फ्लेमेटरी या ऑटोइम्यून कंडीशन का लक्षण हो सकता है।
4. जोड़ों के आकार में बदलाव या टेढ़ापन
अगर जोड़ों की बनावट बिगड़ रही है या उनमें स्थायी टेढ़ापन आ रहा है, तो यह क्रॉनिक रूमेटिक डिज़ीज़ का संकेत हो सकता है।
5. जोड़ों के साथ शरीर के अन्य हिस्सों में लक्षण
- त्वचा पर चकत्ते या रैश (जैसे ल्यूपस में)
- आंखों में सूजन या लालिमा
- सांस लेने में तकलीफ
- मुँह या आंखों में सूखापन
इन लक्षणों का संबंध ऑटोइम्यून रोगों से हो सकता है, जिसमें रूमेटोलॉजिस्ट की मदद आवश्यक होती है।
6. गठिया (गाउट) के दौरे बार-बार होना
गाउट एक प्रकार का गठिया है जिसमें यूरिक एसिड बढ़ने से अचानक जोड़ों में बहुत तेज दर्द होता है। अगर ऐसा बार-बार हो रहा है, तो इसका सही इलाज जरूरी है।
रूमेटोलॉजिस्ट से मिलने का फायदा
- सही और जल्दी डायग्नोसिस: कई रूमेटिक बीमारियों की शुरुआत सामान्य दर्द की तरह होती है, लेकिन जल्दी पहचानना इलाज में बहुत मदद करता है।
- दवा और थेरेपी का सही संतुलन: रूमेटोलॉजिस्ट केवल दर्द की दवा नहीं देते, वे इम्यून सिस्टम पर असर डालने वाली दवाएं, स्टेरॉइड, या बायोलॉजिक्स जैसी उन्नत दवाएं भी देते हैं।
- लंबे समय तक जोड़ सुरक्षित रहेंगे: सही इलाज से जोड़ बचाए जा सकते हैं और विकलांगता रोकी जा सकती है।
निष्कर्ष (Conclusion)
हर जोड़ का दर्द रूमेटिक बीमारी नहीं होता, लेकिन अगर दर्द लम्बे समय तक बना रहे, दिनचर्या को प्रभावित करे, या इसके साथ सूजन, अकड़न, त्वचा पर बदलाव आदि लक्षण हों, तो रूमेटोलॉजिस्ट से मिलना टालें नहीं।
समय पर इलाज से ना केवल दर्द कम होता है, बल्कि आगे चलकर होने वाली जटिलताओं से भी बचाव होता है। इसलिए, अपने शरीर के संकेतों को समझें और ज़रूरत पड़ने पर विशेषज्ञ की सलाह ज़रूर लें।